हमारा नजरिया || हमारा भविष्य - Naitik Kahani in Hindi

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हमारा नजरिया || हमारा भविष्य - Naitik Kahani in Hindi

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 कहानी शीर्षक-*हमारा नजरिया, हमारा भविष्य*


एक टीचर एक बार पूरी क्लास के बच्चों को अपने गांव में लेकर गई। उनके गांव में उनके परिवार वालों ने आम के बाग लगा रखे थे। साथ ही एक नर्सरी भी थी, जहां गुलाब की खेती होती थी। सारे बच्चों ने बाग से तोड़कर बढ़िया आम खाए और फिर गुलाबों के बीच खड़े होकर ढेर सारी फोटो खिंचवाई। जब वहां से चलने का समय आया, तब टीचर ने कहा, बच्चो, हमारी जिंदगी में अच्छे लोग और अच्छे रिश्ते होने बहुत जरूरी होते हैं। हमें इनकी अहमियत समझनी चाहिए।


एक बच्चे ने पूछा, लेकिन हम यह कैसे पता लगाएं कि कौन अच्छा है और कौन बुरा। टीचर कहने लगी, चलो इसे हम एक खेल के जरिये समझते हैं। तुम जरा आम के बाग में जाओ और वहां जो भी सबसे बड़ा आम हो, वह मेरे लिए तोड़कर ले आओ। लेकिन यदि तुम एक बार आगे बढ़ गए, तो लौट नहीं सकते। वह बच्चा बाग में गया और वहां सारे आमों को ध्यान से देखने लगा। एक-एक आम को देखते हुए वह यह सोचकर आगे बढ़ता गया कि शायद इससे बड़ा आम आगे दिख जाए।


ऐसा करते-करते वह बाग के अंत तक पहुंच गया। आखिरी सिरे पर पहुंचने के बाद उसे यह समझ में आया कि सबसे बड़ा आम तो पहले ही पेड़ पर लगा था। वह खाली हाथ टीचर के पास पहुंचा और अपना अनुभव सुनाया। टीचर बोली, हम अक्सर ऐसे ही लोगों को समझने में भूल कर देते हैं। अच्छे की तलाश में हम इधर-उधर ढूंढते रहते हैं, और जो हमारे सामने है, हम उसे भी नहीं पहचान पाते।


अच्छा चलो, अब मेरे लिए सबसे बड़ा गुलाब तोड़कर ले आओ। इस बार बच्चे ने कोई गलती नहीं की। वह गुलाब के बाग में गया और उसे सबसे पहला गुलाब जो सबसे बड़ा दिखा, उसे तोड़कर ले आया। टीचर कहने लगी, देखा, इस बार तुमने अपने ऊपर विश्वास किया और खुद को यकीन दिलाया कि जो मेरे सामने है, वही सबसे अच्छा है। अच्छाई अक्सर दूसरों में नहीं, बल्कि अपने ही अंदर छिपी रहती है।


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*शिक्षा:-* 

ज्यादे अच्छे की लालच में उसे ना खो दे जो आपके सामने है, हम अक्सर ऐसे ही लोगों को समझने में भूल कर देते हैं। अच्छे की तलाश में हम इधर-उधर ढूंढते रहते हैं, और जो हमारे सामने है, हम उसे भी नहीं पहचान पाते। हमारी सोच और नजरिया ही हमारा भविष्य तय करतीं हैं।


*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*


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