Gulzar shayari in hindi 2021
उस से सरज़द हुआ है ख़ता भी नहीं !!
उस ने हमको दिया है दग़ा भी नहीं!!
ऐन मुमकिन था भूला भी देता मगर
बात तो ये के, वो बेवफ़ा भी नहीं !!
किस तरह और कैसे मनाए उसे
जो है बरहम भी या है ख़फा़ भी नहीं!!
दूर वो, दूर से ही, मुझ से हो गया
लग के सीने से , मैं रो सका भी नहीं!!
दिल रहेगा यूँही अब तो वीरान ही
वो नहीं तो कोई दूसरा भी नहीं !!
लग जो जाऐ तो फिर वो हरा ही हरा
इश्क वो पौदा जो सूखता भी नहीं !!
सौ दफा कह दिया याद मत कर मगर
"अजनबी" दिल है कि मानता भी नहीं !!
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Gulzar shayari in hindi 2021
वो दौर ना तेरे फसाने सुनाने का था ।
वो वक़्त ना तेरा गीत गुन गुना मुस्कुराने का था।।
टूटा था अन्दर से में वो दौर तेरे मनाने का था ।
घाव गहरे थे, तेरा वक़्त मरहम लगाने का था।।
पर तू ना समझ सकी उस समय मुझे ,
तेरा तो इरादा घाव पे मेरे नमक डालने का था।
बेशक वो दौर पुराना था।।
भूल ना सकूंगा में ,वो ज़ालिम कितना जमाना था।।
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गुलज़ार शायरी 2021
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Gulzar shayari in hindi 2021
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