एक अनोखी राम कथा || Naitik Kahani in Hindi

kalamkaar_15
By -
0

 एक अनोखी राम कथा || Naitik Kahani in Hindi

Hindi poem and hindi naitik kahaniya all collections in my kalamkar15 blog, latest and best hindi kahaniya in my kalamkar15 blog, please read and share 

एक अनोखी राम कथा || Naitik Kahani in Hindi || Hindi poem and hindi naitik kahaniya all collections in my kalamkar15 blog, latest and best hindi kahani
Naitik Kahani in Hindi


*एक अनोखी राम कथा*

*एक बार एक राजा ने गाँव में रामकथा करवाई और कहा कि सभी  ब्राह्मणों को रामकथा के लिए आमंत्रित किया जाय, राजा ने सबको रामकथा पढने के लिए  यथा स्थान बिठा दिया।*


*एक ब्राह्मण अंगुठा छाप था उसको पढना लिखना कुछ आता नहीं था, वो ब्राह्मण सबसे पीछे बैठ गया, और सोचा कि जब पास वाला पन्ना पलटेगा तब मैं भी पलट दूंगा।*

*काफी देर तक देखा की पास बैठा व्यक्ति पन्ना नही पलट रहा है, उतने में राजा श्रद्धा पूर्वक सबको नमन करते हुए चक्कर लगाते लगाते उस सज्जन के समीप आने लगे, तो उस ने एक ही रट लगादी कि "अब राजा पूछेगा तो क्या कहूँगा"* 

*"अब राजा पूछेगा तो क्या कहूँगा"* 


*उस सज्जन की ये बात सुनकर पास में बैठा व्यक्ति भी रट लगाने लग गया, कि "तेरी गति सो मेरी गति, तेरी गति सो मेरी गति* ,"


*उतने में तीसरा व्यक्ति बोला, ये पोल कब तक चलेगी! ये पोल कब तक चलेगी!*


*चोथा बोला*-

*जबतक चलता है चलने दे, जब तक चलता है चलने दे, वे चारों अपने सिर निचे किये इस तरह की रट लगाये बैठे हैं कि*-


1 *अब राजा पूछेगा तो क्या कहूँगा*.. 

2 *तेरी गति सो मेरी गति*.. 

3 *ये पोल कब तक चलेगी*.. 

4 *जबतक चलता है चलने दे*..


*जब राजा ने उन  चारों के स्वर सुने तो राजा ने पूछा कि ये सब क्या गा रहे हैं, ऐसे प्रसंग तो रामायण में हमने पहले कभी नही सुने।*


*उतने में, एक महात्मा उठे और बोले महाराज ये सब रामायण का ही प्रसंग बता रहे हैं, पहला व्यक्ति है ये बहुत विद्वान है, ये बात सुंमत ने (अयोध्याकाण्ड ) में कही, राम लक्ष्मण सीता जी को वन में छोड़ कर घर लोटते हैं तब ये बात सुंमत कहता है कि अब राजा पूछेंगे तो क्या कहूँगा ? अब राजा पूछेंगे तो क्या कहूँगा* ?


*फिर पूछा कि ये दूसरा कहता है कि तेरी गति सो मेरी गति, महात्मा बोले महाराज ये तो इनसे भी ज्यादा विद्वान है,( किष्किन्धाकाण्ड ) में जब हनुमान जी, राम लक्ष्मण जी को अपने दोनों कंधों पर बिठा कर सुग्रीव के पास गए तब ये बात राम जी ने कही थी कि, सुग्रीव ! तेरी गति सो मेरी गति, तेरी पत्नी को बाली ने रख लिया और मेरी पत्नी का रावण ने हरण कर लिया..*


*राजा ने आदर से फिर पूछा, कि महात्मा जी! ये तीसरा बोल रहा है कि ये पोल कब तक चलेगी, ये बात कभी किसी संत ने नहीं कही ? बोले महाराज ये तो और भी ज्ञानी है।, (लंकाकाण्ड) में अंगद जी ने रावण की भरी सभा में अपना पैर जमाया, तब ये प्रसंग मेधनाथ ने अपने पिता रावण से कहा कि, पिता श्री ! ये पोल कब तक चलेगी, पहले एक वानर आया और वो हमारी लंका जला कर चला गया, और अब ये कहता है कि मेरे पैर को कोई यहाँ से हटा दे तो भगवान श्री राम बिना युद्ध किये वापिस लौट जायेंगे।*


*फिर राजा बोले कि ये चौथा बोल रहा है ? महात्मा जी बोले  महाराज ये इतना बड़ा विद्वान है कि कोई इनकी बराबरी कर ही नही सकता, ये मंदोदरी की बात कर रहे हैं, मंदोदरी ने कई बार रावण से कहा कि,स्वामी ! आप जिद्द छोड़ दीजिए, सीता जी को आदर सहित राम जी को सोंप दीजिये अन्यथा अनर्थ हो जायगा। तब ये बात रावण ने मंदोदरी से कही कि जबतक चलता है चलने दे।*


*मेरे तो दोनों हाथ में लड्डू हैं, अगर में राम के हाथों मारा गया तो मेरी मुक्ति हो जाएगी, इस अधम शरीर से भजन-वजन तो कुछ होता नहीं, और मैं युद्द जीत गया तो त्रिलोकी में भी मेरी जय जयकार हो जाएगी।*


*राजा इन सब बातों से चकित रह गए बोले कि आज हमें ऐसा अद्भुत प्रसंग सूनने को मिला है कि आज तक हमने नहीं सुना, राजा इतने प्रसन्न हुए कि उस महात्मा से बोले कि आप जो कहें वो दान देने को राजी हूँ।*


*बुद्धिमता से उस महात्मा ने उन अनपढ़ अंगुठा छाप ब्राह्मणों को अनेकों दान दक्षिणा दिलवा दी।*


*यहाँ विशेष ध्यान देने की बात है :-*

*इन सब बातों का एक ही सार है  कि कोई अज्ञानी, कोई नास्तिक, कोई कैसा भी क्यों न हो, रामायण, भागवत, जैसे महान ग्रंथों को श्रद्धा पूर्वक छूने मात्र से ही सब संकटों से मुक्त हो जाते हैं।*


*और भगवान का सच्चा प्रेमी हो जाये तो उसकी बात ही क्या है, मत पूछिये कि वे कितने धनी हो जाते हैं।*

      

*!!जय जय श्री सीताराम जी की जय हो!!*

⭐ ⭐ ⭐ ⭐ ⭐

एक अनोखी राम कथा || Naitik Kahani in Hindi

Hindi poem and hindi naitik kahaniya all collections in my kalamkar15 blog, latest and best hindi kahaniya in my kalamkar15 blog, please read and share 


Post a Comment

0Comments

Post a Comment (0)